जनवादी लेखक संघ का संविधान
(1) नाम: इस संस्था का नाम ‘जनवादी लेखक संघ’ होगा। उर्दू में इसका नाम
‘ अंजुमन जम्हूरियतपंसद मुसन्निफ़ीन ’ होगा। इसके नाम का संक्षिप्त रूप ‘ज-ले-स-’ होगा।
(2) कार्यक्षेत्र : ज-ले-स- का कार्यक्षेत्र संपूर्ण भारत होगा।
(3) प्रधान कार्यालय : ज-ले-स- का प्रधान कार्यालय दिल्ली में होगा।
(4) ज-ले-स- के उद्देश्य :
(क) लेखकों के वैचारिक संघर्ष का नेतृत्व करना और उनके लिए रचनात्मक विकास की परिस्थितियां उत्पन्न करने का प्रयास करना।
(ख) जनवादी लेखन के प्रकाशन, प्रचार तथा प्रसार के लिए हर संभव प्रयत्न करना तथा जातिवाद, छुआछूत, अंधविश्वास, रूढ़िवादिता, सांप्रदायिकता तथा अलगावाद को फैलाने वाले सामंती साम्राज्यवादी और पतनशील पूंजीवादी लेखन का विरोध करना।
(ग) जनता की स्वस्थ सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण और विकास करना तथा उसकी सांस्कृतिक चेतना के विकास में योग देना।
(घ) लेखकों के लेखकीय हितों की सुरक्षा के लिए संघर्ष करना।
(ड) जनवादी लेखकों के लिए सम्मेलनों, संगोष्ठियों तथा अध्ययन और कार्यशिविरों का आयोजन करना।
(च) भारत तथा विदेशों की सभी भाषाओं के जनवादी लेखकों और संस्कृतिकर्मियों तथा बुद्धिजीवियों के संगठनों के साथ संबंध विकसित करना।
(5) ज-ले-स- की सदस्यता :
क ज-ले-स- के घोषणापत्र तथा उपर्युक्त उद्देश्यों से सहमत कोई भी लेखक ज-ले-स- का सदस्य बन सकता है।
(ख) नयी सदस्यता के लिए ज-ले-स- के किन्हीं दो सदस्यों की सिफ़ारिश पर राज्य कार्यकारिणी द्वारा सदस्यता दी जा सकती है। जहां ज-ले-स- की राज्य इकाई न हो वहां ज-ले-स- की केंद्रीय परिषद के किसी एक सदस्य की सिफारिश पर केंद्रीय कार्यकारिणी द्वारा सदस्यता दी जा सकती है।
(ग) सदस्यता-शुल्क 20 रुपया वार्षिक होगा। इन 20 रु- में से 10 रु- ज-ले-स- केंद्र को, 6 रु- राज्य को तथा ज़िला/स्थानीय इकाई को 4 रु- मिलेंगे।
(घ) हर सदस्य को अपनी सदस्यता का नवीनीकरण हर वर्ष जनवरी से मार्च के अंत तक करा लेना होगा।
(ड़) सदस्यता के लिए राज्य-कार्यकारिणी की स्वीकृति आवयक होगी। जिस क्षेत्र में राज्य-कार्यकारिणी न हो, वहां के लिए केंद्रीय कार्यकारिणी से स्वीकृति आवश्यक होगी।
(6) संगठन का ढांचा :
ज-ले-स- का संगठन केंद्र,राज्य, जिला और स्थानीय इकाई के स्तर पर होगा।
(7) केंद्रीय संगठन :
(क) ज-ले-स- का राष्ट्रीय सम्मेलन, जो साधारणत: हर दो वर्ष पर होगा, एक केंद्रीय परिषद का चुनाव करेगा।
(ख) केंद्रीय परिषद के सदस्यों की संख्या राष्ट्रीय सम्मेलन तय करेगा। मानद सदस्य केंद्रीय द्वारा मनोनीत होंगे।
(ग) केंद्रीय परिषद की वर्ष में कम-से-कम एक बैठक होगी। कोरम के लिए केंद्रीय परिषद के तिहाई सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक होगी।
(घ) ज-ले-स- की केंद्रीय परिषद का कार्यकाल राष्ट्रीय सम्मेलन के अगले अधिवेशन तक रहेगा। ज-ले-स- के राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिनिधयों की संख्या का निर्धारण केंद्रीय कार्यकारिणी करेगी।
केंद्रीय कार्यकारिणी :
(क) केंद्रीय परिषद अपनी पहली बैठक में ही अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्षों, उपाध्यक्षों, महासचिव, संयुक्त महासचिवों, सचिवों, कोषाध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों का चुनाव करके केंद्रीय कार्यकारिणी गठित करेगी। पदाधिकारियों तथा सदस्यों की संख्या राष्ट्रीय सम्मेलन तय करेगा। निवर्तमान अध्यक्ष और महासचिव इसके पदेन सदस्य होंगे।
(ख) कार्यकारिणी में कोई पद या स्थान रिक्त होने पर कार्यकारिणी उस पद या स्थान पर केंद्रीय परिषद से किसी भी सदस्य को मनोनीत कर लेगी। केंद्रीय परिषद की अगली बैठक में वह उसका अनुमोदन करा लेगी।
(ग) कार्यकारिणी की वर्ष में साधारणत: दो बैठके होंगी। बैठक की सूचना कम-से-कम 15 दिन पहले कार्यकारिणी सदस्यों को दी जायेगी।
(घ) कार्यकारिणी केंद्रीय परिषद द्वारा निर्धारित कार्यों को पूरा करेगी।
पदाधिकारियों के कार्य :
(क) अध्यक्ष/कार्यकारी अध्यक्ष/उपाध्यक्ष : अध्यक्ष केंद्रीय परिषद और कार्यकारिणी की बैठकों की अध्यक्षता करेगा। उसकी अनुपस्थिति में कोई भी कार्यकारी अध्यक्ष या कोई भी उपस्थित उपाध्यक्ष इन बैठकों की अध्यक्षता करेगा। अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्षों और उपाध्यक्षों की अनुपस्थिति में कार्यकारिणी का कोई भी सदस्य उक्त बैठकों की अध्यक्षता करेगा।
(ख) महासचिव/संयुक्त महासचिव/सचिव :
1- महासचिव केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठकें बुलायेंगे।
2- महासचिव केंद्रीय कार्यकारिणी की संस्तुति से केंद्रीय परिषद की बैठकें बुलायेंगे।
3- महासचिव केंद्रीय कार्यकारिणी की संस्तुति से राष्ट्रीय सम्मेलन का आह्वान करेंगे।
4- महासचिव ज-ले-स- के संगठनात्मक दायित्वों को पूरा करेंगे और जनवादी लेखक संघ की केंद्रीय पत्रिका, नया पथ के पदेन प्रकाशक, मुद्रक और संपादक होंगे।
5- महासचिव राष्ट्रीय सम्मेलन तथा केंद्रीय परिषद और केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठकों के अवसर पर विचारार्थ ज-ले-स- की कार्रवाइयों की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। egk eee
(ग) संयुक्त महासचिव/सचिव : महासचिव के कार्यों के संचालन में उनकी मदद करेंगे।
महासचिव की अनुपस्थिति में संयुक्त महासचिव/सचिव और संयुक्त महासचिव/सचिव की अनुपस्थिति में कार्यकारिणी द्वारा मनोनीत सचिव महासचिव के सभी कार्यों को पूरा करेगा।
(घ) कोषाध्यक्ष :
1- कोषाध्यक्ष ज-ले-स- के आय-व्यय का पूरा हिसाब रखेगा।
2- कोषाध्यक्ष महासचिवों के साथ संयुक्त रूप से बैंकों के खाते संचालित करेगा।
3- कोषाध्यक्ष कार्यकारिणी द्वारा नियुक्त ऑडीटर से आय-व्यय के हिसाब की जांच करायेगा और राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित कराने के लिए आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करेगा।
केंद्रीय कार्यकारीमंडल : दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में निवास कर रहे केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और पदाधिकारी इस कार्यकारीमंडल के सदस्य होंगे जो समय समय पर बैठकें कर के केंद्र के कार्य का संचालन करेगा ।
(8) राज्य, जिला एवं स्थानीय इकाइयों का सांगठनिक ढांचा :
(क) ज-ले-स- की राज्य, ज़िला एवं स्थानीय इकाइयों का सांगठनिक ढांचा सामान्यत: केंद्रीय संगठन के अनुरूप ही होगा; किंतु ज़िला इकाइयों में कोषाध्यक्ष, सचिव/अध्यक्ष के साथ संयुक्त रूप से बैंक के खाते को संचालित करेगा।
(ख) राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारी निम्नलिखित होंगे:
अध्यक्ष
उपाध्यक्ष
सचिव
उपसचिव एवं
कोषाध्यक्ष
(ग) राज्य कार्यकारिणी के सदस्यों की संख्या राज्य सम्मेलन में तय होगी। पदेन पदाधिकारी इसके सदस्य होंगे।
(घ) ज़िला कार्यकारिणी के पदाधिकारी निम्नलिखित होंगे :
अध्यक्ष
उपाध्यक्ष
सचिव
उपसचिव एवं
कोषाध्यक्ष
ज़िला कार्यकारिणी के सदस्यों की संख्या ज़िला सम्मेलन तय करेगा। पदेन पदाधिकारी इसके सदस्य होंगे।
(ड़) स्थानीय इकाई का गठन कम-से-कम 5 सदस्य कर सकते हैं।
स्थानीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी निम्नलिखित होंगे :
अध्यक्ष
उपाध्यक्ष
सचिव
उपसचिव एवं
कोषाध्यक्ष
(9) अनुशासनिक कार्रवाइयां :
(क) संघ के घोषणापत्र या संविधान के ख़िलाफ़ कार्य करने वाले किसी भी सदस्य को निलंबित या निष्कासित करने का अधिकार राज्य परिषद को होगा। निलंबित या/और निष्कासित सदस्य को केंद्रीय कार्यकारिणी के सामने अपील करने का अधिकार होगा। इस संबंध में केंद्रीय कार्यकारिणी के निर्णय को केंद्रीय परिषद की अगली बैठक में रखा जायेगा और उसका निर्णय अंतिम होगा।
(ख) संगठन के घोषणापत्र या संविधान के ख़िलाफ़ कार्य करने वाली ज़िला इकाई तथा स्थानीय इकाई को निलांबित या/और भंग करने का अधिकार राज्य परिषद को होगा। निलंबित या/और भंग ज़िला अथवा स्थानीय इकाई को केंद्रीय कार्यकारिणी के समक्ष अपील करने का अधिकार होगा। इस संबंध में केंद्रीय कार्यकारिणी के निर्णय को केंद्रीय परिषद की अगली बैठक में रखा जायेगा और उसका निर्णय अंतिम होगा।
(ग) संघ के घोषणापत्र या संविधान के ख़िलाफ़ कार्य करने वाली राज्य कार्यकारिणी को निलंबित या/और भंग करने का अधिकार केंद्रीय कार्यकारिणी/राज्य परिषद को होगा। इस संबंध में केंद्रीय कार्यकारिणी के निर्णय को केंद्रीय परिषद की अगली बैठक में रखा जायेगा और उसका निर्णय अंतिम होगा।
(घ) जिला अथवा स्थानीय इकाई के भंग होने पर राज्य कार्यकारिणी तदर्थ समिति गठित कर सकती है। राज्य परिषद की अगली बैठक में उसका अनुमोदन करा लेना होगा।
(10) आपात बैठक :
(क) केंद्रीय परिषद के एक तिहाई सदस्य परिषद की बैठक बुलाने के लिए पहल कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें महासचिव को एक महीने का समय देते हुए नोटिस देना होगा। इस पर भी महासचिव अगर बैठक न बुलायें तो वे खुद बैठक का आह्वान कर सकते हैं।
(ख) कार्यकारिणी के एक तिहाई सदस्य 15 दिन के नोटिस पर कार्यकारिणी की बैठक बुलाने के लिए महासचिव से पहल कर सकते हैं। इस पर भी महासचिव अगर बैठक न बुलायें तो वे खुद बैठक का आह्वान कर सकते हैं।
(11) नियमावली :
ज-ले-स- के संगठनात्मक कार्यों के संचालन के लिए केंद्रीय परिषद संविधान के अनुकूल संघ के नियमों-उपनियमों को तैयार करेगी।
(12) संविधान में संशोधन
राष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों के दो तिहाई बहुमत से ज-ले-स- के संविधान मे किसी भी प्रकार का संशोधन किया जा सकता है।
(13) संरक्षक मंडल : ज-ले-स- का एक संरक्षक मंडल होगा जिसके सदस्यों का नामांकन केंद्रीय परिषद