प्रो. निर्मला जैन के निधन पर

नयी दिल्ली: 17 अप्रैल 2025 : जनवादी लेखक संघ प्रतिष्ठित आलोचक प्रो. निर्मला जैन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है।

दिल्ली में 1932 में जन्मीं प्रो. जैन ने बी. ए. से लेकर डी. लिट. तक की उपाधियां दिल्ली विश्वविद्यालय से हासिल कीं और वहीं वे लंबे समय तक प्रोफेसर रहीं। 1981 से 1984 तक उन्होंने हिंदी विभागाध्यक्ष का पदभार भी संभाला। उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में प्रतिक्रियावादी और स्त्रीद्वेषी विचार रखने वाले कुछ शिक्षकों ने हर तरह की मर्यादा का उल्लंघन करते हुए उनके खिलाफ़ मुहिम छेड़ी जिसका उन्होंने डटकर मुक़ाबला किया। वे साहित्याध्ययन में अपने को जितना अद्यतन रखती थीं, प्रशासनिक दायित्वों के निर्वहन में भी उतनी ही दक्ष थीं।
आलोचना के क्षेत्र में प्रो. जैन का योगदान स्मरणीय है। ‘रस-सिद्धांत और सौन्दर्यशास्त्र’, ‘आधुनिक साहित्य : मूल्य और मूल्यांकन’, ‘हिंदी आलोचना का दूसरा पाठ’, ‘पाश्चात्य साहित्य चिंतन’, ‘कविता का प्रति-संसार’ जैसी पुस्तकें विद्यार्थियों से लेकर गंभीर आलोचकों तक के लिए आवश्यक पाठ की तरह हैं। उनके द्वारा संपादित और अनूदित पुस्तकों की भी एक बड़ी संख्या है। ‘ज़माने में हम’ शीर्षक उनकी आत्मकथा बहुचर्चित रही।
हम स्मृतिशेष प्रो. निर्मला जैन के निधन पर दुख व्यक्त करते हैं और उनकी स्मृति को सादर नमन करते हैं।


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