नयी दिल्ली : 5 जनवरी 018 : प्रगतिशील आन्दोलन से जुड़े कवि, कथाकार और आलोचक श्री राजकुमार सैनी का निधन शोक-संतप्त करने वाली सूचना है. लम्बी बीमारी के बाद आज दिल्ली के एक अस्पताल में उनका देहांत हुआ. दिल्ली में ही 1941 में उनका जन्म हुआ था. एम.ए., एल.एल.बी., साहित्यरत्न और प्रभाकर की उपाधियाँ अर्जित करने के बाद वे परिवहन मंत्रालय में अनुवादक की नौकरी करने लगे. वहीं बाद में राजभाषा अधिकारी हो गए. चंचल चौहान के साथ 1972 में उनका पहला कविता संग्रह दिया, प्रहार स्याह रात पर प्रकाशित हुआ। उसकी एक छोटी-सी कविता ‘विद्रोह’ उनके प्रतिबद्ध दृष्टिकोण और कला-संयम का परिचय देती है: ‘वहाँ दूर जंगल में / वृक्षों ने नहीं सहा / एक साथ वृक्षों ने / मिलकर / सिर उठाया / वहीं से पहले पहल / हवा का / झोंका आया.’
उन्होंने दो उपन्यास भी लिखे. निराला पर लिखी गयी उनकी आलोचना-पुस्तक अस्सी के दशक में काफ़ी चर्चित रही.
जनवादी लेखक संघ राजकुमार सैनी की स्मृति को नमन करता है.